शायर कहकर बदनाम ना करना मुझे दोस्तो,
मै तो रोज शाम को दिनभर का हिसाब लिखता हूं।
सुबह तुझ से होगी मेरी शाम तुझ से होगी,
जो तू मुझे मिले तो मेरी पहचान तुझ से होगी,
में प्यार का परिंदा ये गगन चूमता हूँ,
मिल जाये जो शेह तेरी तो मेरी उड़ान तुझ से होगी।
साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले,
हम को जाना है कहीं शाम से पहले पहले।
मैं सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो,
न जाने क्यों लगा मुझे, के मुस्कुरा रही है वो,
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है,
वो कल भी पास-पास थी, वो आज भी करीब है।
दिन ख्वाहिशों में गुजरता है,
रात खयालों में कटती है,
शाम का आलम ना पूछो,
मयकदे जाओगे तो समझोगे।
कभी शाम होने के बाद,
मेरे दिल में आकर देखना,
खयालों की महफ़िल सजी होती है,
और जिक्र सिर्फ तुम्हारा होता है।
तेरी निगाह उठे तो सुबह हो,
पलके झुके तो शाम हो जाये,
अगर तू मुस्कुरा भर दे तो,
कत्ले आम हो जाये।
रात के इंतज़ार में सुबह से मुलाकात हो गई,
शायद कल की वो शाम ढलना भुल गई
कहाँ की शाम और कैसी सहर, जब तुम नही होते,
तड़पता है ये दिल आठो पहर, जब तुम नही होते।
यूँ तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी,
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया,
ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया,
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया।
रोज़ ढलती हुई शाम से डर लगता है,
अब मुझे प्यार के अंजाम से डर लगता है,
जब से तुमने मुझे धोखा दिया,
तबसे मोहब्बत के नाम से भी डर लगता है।
ये उदास शाम और तेरी ज़ालिम याद,
खुदा खैर करे अभी तो रात बाकि है।
मौसम की बहार अच्छी हो,
फूलो की कलिया कच्ची हो,
हमारी ये दोस्ती सच्ची हो,
मेरे दोस्त की हर शाम अच्छी हो।
तेरी उल्फत को कभी नाकाम ना होने देंगे,
तेरे प्यार को कभी बदनाम न होने देंगे,
मेरी जिंदगी में सूरज निकले न निकले,
तेरी ज़िंदगी में कभी शाम ना होने देंगे।
एक शाम आती हैं तेरी याद लेकर,
एक शाम जाती हैं तेरी याद लेकर,
हमें तो उस शाम का इन्तजार है,
जो आयें तुम्हे साथ लेकर।
बस एक शाम का हर शाम इंतज़ार रहा,
मगर वो शाम किसी शाम भी नहीं आई।
फिजा में महकती शाम हो तुम,
प्यार का छलकता जाम हो तुम,
सीने में छुपाये फिरते हैं तुम्हें,
मेरी ज़िन्दगी का दूसरा नाम हो तुम।
रात हुई जब हर शाम के बाद,
तेरी याद आयी हर बात के बाद,
हमने खामोश रह कर भी महसूस किया,
तेरी आवाज़ आयी हर सांस के बाद।
ढलते दिन सा मैं, गुजरती रात सी तुम,
अब थम भी जाओ, एक मुलाकात को,
तेरे आने की उम्मीद और भी तड़पाती है,
मेरी खिड़की पे जब शाम उतर आती है।
हम अपनी शाम को जब नज़र-ए-जाम करते हैं,
अदब से हमको सितारे सलाम करते है।
एक दर्द छुपा हो सीने में,
तो मुस्कान अधूरी लगती है,
जाने क्यों बिन तेरे मुझको,
हर शाम अधूरी लगती है।