तेरी उल्फत को कभी नाकाम ना होने देंगे,
तेरे प्यार को कभी बदनाम न होने देंगे,
मेरी जिंदगी में सूरज निकले न निकले,
तेरी ज़िंदगी में कभी शाम ना होने देंगे।
शाम होते ही यह दिल उदास होता है,
सपनो के सिवा कुछ नहीं पास होता है,
आप को बहुत याद करते है हम,
यादो का हर लम्हा मेरे लिए ख़ास होता है।
जिन्दगी की हर सुबह,
कुछ शर्ते लेकर आती हैं,
और जिन्दगी की हर शाम,
कुछ तजुर्बे देकर जाती हैं।
शायर कहकर बदनाम ना करना मुझे दोस्तो,
मै तो रोज शाम को दिनभर का हिसाब लिखता हूं।
मैं सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो,
न जाने क्यों लगा मुझे, के मुस्कुरा रही है वो,
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है,
वो कल भी पास-पास थी, वो आज भी करीब है।
हम अपनी शाम को जब नज़र-ए-जाम करते हैं,
अदब से हमको सितारे सलाम करते है।
मेरी सुबह को तुम रोशनी दे दो,
मेरी शामो को तुम चांदनी दे दो,
मांगता हूं मैं तुमसे अपनी जिंदगी,
बस अपने क़दमों में मुझे पनाह दे दो।
दिन गुज़र जाता है आपको सोच सोच कर,
आती है शाम दिन गुजर जाने के बाद,
कटती नहीं शाम की तन्हाईयाँ,
जाती नहीं तेरी याद तेरे जाने के बाद।
भीगी हुई एक शाम की दहलीज़ पे बैठा हूँ,
मैं दिल के सुलगने का सबब सोच रहा हूँ,
दुनिया की तो आदत है बदल लेती है आंखें,
में उस के बदलने का सबब सोच रहा हूँ।
चाँद सा चेहरा देखने की इज़ाज़त दे दो,
मुझे ये शाम सजाने की इज़ाज़त दे दो,
मुझे कैद कर लो अपने इश्क़ में या फिर,
मुझे इश्क़ करने की इज़ाज़त दे दो।
मौसम की बहार अच्छी हो,
फूलो की कलिया कच्ची हो,
हमारी ये दोस्ती सच्ची हो,
मेरे दोस्त की हर शाम अच्छी हो।
रात हुई जब हर शाम के बाद,
तेरी याद आयी हर बात के बाद,
हमने खामोश रह कर भी महसूस किया,
तेरी आवाज़ आयी हर सांस के बाद।
जिसमें न चमकते हों मोहब्बत के सितारे,
वो शाम अगर है तो मेरी शाम नहीं है।
रात के इंतज़ार में सुबह से मुलाकात हो गई,
शायद कल की वो शाम ढलना भुल गई
कहाँ की शाम और कैसी सहर, जब तुम नही होते,
तड़पता है ये दिल आठो पहर, जब तुम नही होते।
बस एक शाम का हर शाम इंतज़ार रहा,
मगर वो शाम किसी शाम भी नहीं आई।
दीये तो आँधी में भी जला करते हैं,
गुलाब तो कांटो में ही खिला करते हैं,
खुश नसीब बहुत होती हैं वो शाम,
दोस्त आप जैसे जब मिला करते हैं।
दर्द की शाम है, आँखों में नमी है,
हर सांस कह रही है, फिर तेरी कमी है।
फिजा में महकती शाम हो तुम,
प्यार का छलकता जाम हो तुम,
सीने में छुपाये फिरते हैं तुम्हें,
मेरी ज़िन्दगी का दूसरा नाम हो तुम।
कभी शाम होने के बाद,
मेरे दिल में आकर देखना,
खयालों की महफ़िल सजी होती है,
और जिक्र सिर्फ तुम्हारा होता है।
वादा किया है तो ज़रूर निभाएंगे,
चाँद की किरण बनकर छत पे आएंगे,
हम हैं तो जुदाई का गम कैसा,
तेरी हर शाम को फूलों से सजाएंगे।
एक दर्द छुपा हो सीने में,
तो मुस्कान अधूरी लगती है,
जाने क्यों बिन तेरे मुझको,
हर शाम अधूरी लगती है।