ढलती शाम सी खूबसूरत हो तुम,
मगर शाम की ही तरह बहुत दूर हो तुम।
तेरी उल्फत को कभी नाकाम ना होने देंगे,
तेरे प्यार को कभी बदनाम न होने देंगे,
मेरी जिंदगी में सूरज निकले न निकले,
तेरी ज़िंदगी में कभी शाम ना होने देंगे।
शाम खाली है जाम खाली है,
ज़िन्दगी यूँ गुज़रने वाली है,
सब लूट लिया तुमने जानेजाँ मेरा,
मैने तन्हाई मगर बचा ली है।
हम अपनी शाम को जब नज़र-ए-जाम करते हैं,
अदब से हमको सितारे सलाम करते है।
कितनी जल्दी ये शाम आ गयी,
गुड नाईट कहने की बात याद आ गयी,
हम तो बैठे थे सितारों की महफ़िल में,
चाँद को देखा तो आपकी याद आ गयी।
चाँद सा चेहरा देखने की इज़ाज़त दे दो,
मुझे ये शाम सजाने की इज़ाज़त दे दो,
मुझे कैद कर लो अपने इश्क़ में या फिर,
मुझे इश्क़ करने की इज़ाज़त दे दो।
ये उदास शाम और तेरी ज़ालिम याद,
खुदा खैर करे अभी तो रात बाकि है।
शाम होते ही आ मिलती है मुझसे,
ये तेरी याद मेरे हर शाम की मुंतजीर है,
आओ एक शाम बैठो पास मेरे और देखो,
ये जो मंजर है कितना बेनजीर है।
सुबह तुझ से होगी मेरी शाम तुझ से होगी,
जो तू मुझे मिले तो मेरी पहचान तुझ से होगी,
में प्यार का परिंदा ये गगन चूमता हूँ,
मिल जाये जो शेह तेरी तो मेरी उड़ान तुझ से होगी।
मैं सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो,
न जाने क्यों लगा मुझे, के मुस्कुरा रही है वो,
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है,
वो कल भी पास-पास थी, वो आज भी करीब है।