तेरी निगाह उठे तो सुबह हो,
पलके झुके तो शाम हो जाये,
अगर तू मुस्कुरा भर दे तो,
कत्ले आम हो जाये।
रात के इंतज़ार में सुबह से मुलाकात हो गई,
शायद कल की वो शाम ढलना भुल गई
कहाँ की शाम और कैसी सहर, जब तुम नही होते,
तड़पता है ये दिल आठो पहर, जब तुम नही होते।
ये उदास शाम और तेरी ज़ालिम याद,
खुदा खैर करे अभी तो रात बाकि है।
उस की आँखों में उतर जाने को जी चाहता है,
शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है।
कभी कभी शाम ऐसे ढलती है,
जैसे घूंघट उतर रहा हो,
तुम्हारे सीने से उठता धुआँ,
हमारे दिल से गुज़र रहा हो।
मैं सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो,
न जाने क्यों लगा मुझे, के मुस्कुरा रही है वो,
वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है,
वो कल भी पास-पास थी, वो आज भी करीब है।
भीगी हुई एक शाम की दहलीज़ पे बैठा हूँ,
मैं दिल के सुलगने का सबब सोच रहा हूँ,
दुनिया की तो आदत है बदल लेती है आंखें,
में उस के बदलने का सबब सोच रहा हूँ।
शाम होते ही यह दिल उदास होता है,
सपनो के सिवा कुछ नहीं पास होता है,
आप को बहुत याद करते है हम,
यादो का हर लम्हा मेरे लिए ख़ास होता है।
ढलते दिन सा मैं, गुजरती रात सी तुम,
अब थम भी जाओ, एक मुलाकात को,
तेरे आने की उम्मीद और भी तड़पाती है,
मेरी खिड़की पे जब शाम उतर आती है।
शाम होते ही दिल उदास हो जाता है,
सपनों के सिवा ना कुछ खास होता है.
आपको तो बहुत याद करते हैं हम,
यादों का लम्हा मेरे लिए कुछ खास होता है।
शाम आती है तो ये सोच के डर जाता हूँ,
आज की रात मेरे शहर पे भारी तो नहीं।
ढलती शाम सी खूबसूरत हो तुम,
मगर शाम की ही तरह बहुत दूर हो तुम।
खुशबू जैसे लोग मिले अफ़साने में,
एक पुराना खत खोला अनजाने में,
शाम के साये बालिस्तों से नापे हैं,
चाँद ने कितनी देर लगा दी आने में।
तेरी उल्फत को कभी नाकाम ना होने देंगे,
तेरे प्यार को कभी बदनाम न होने देंगे,
मेरी जिंदगी में सूरज निकले न निकले,
तेरी ज़िंदगी में कभी शाम ना होने देंगे।
मुझे उस सहर की हो क्या ख़ुशी,
जो हो जुल्मतों में घिरी हुई,
मेरी शाम-ए-ग़म को जो लूट ले,
मुझ उस शहर की तलाश है।
वादा किया है तो ज़रूर निभाएंगे,
चाँद की किरण बनकर छत पे आएंगे,
हम हैं तो जुदाई का गम कैसा,
तेरी हर शाम को फूलों से सजाएंगे।
काश ये शाम कभी ढले ना,
काश ये शाम मोहब्बत की रुके ना,
हो जाए आज दिल की चाहते सारी पूरी,
और दिल की कोई चाहत बचे ना।
दिल से दिल की बस यही दुआ है,
आज फिर से हमको कुछ हुआ है,
शाम ढलते ही आती है याद आपकी,
लगता है प्यार आपसे ही हुआ है।
मुझे ना जाने की ख़ुशी है अब,
अब ना ही मरने का है ग़म,
उनसे मिलने की दुआ भी नहीं करते हम,
क्योंकि अब हर शाम है उनकी यादो के संग।
कभी शाम होने के बाद,
मेरे दिल में आकर देखना,
खयालों की महफ़िल सजी होती है,
और जिक्र सिर्फ तुम्हारा होता है।