ग़म इसका नहीं कि तू मेरा न हो सका,
मेरी मोहब्बत में मेरा सहारा ना बन सका,
ग़म तो इसका भी नहीं कि सुकून दिल का लुट गया,
ग़म तो इसका है कि मोहब्बत से भरोसा ही उठ गया।
वो जान गयी थी हमें दर्द में मुस्कराने की आदत है,
देती थी नया जख्म वो रोज मेरी ख़ुशी के लिए।
दर्द कितना है बता नहीं सकते,
ज़ख़्म कितने हैं दिखा नहीं सकते,
आँखों से समझ सको तो समझ लो,
आँसू गिरे हैं कितने गिना नहीं सकते।
नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से,
ख्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यों है।
बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मोहब्बत की,
कोई किसी को टूट कर चाहता है,
और कोई किसी को चाह कर टूट जाता है।
कभी कभी मोहब्बत में वादे टूट जाते हैं,
इश्क़ के कच्चे धागे टूट जाते हैं,
झूठ बोलता होगा कभी चाँद भी,
इसलिए तो रुठकर तारे टूट जाते हैं।
मेरे इस दर्द की वजह भी वो है,
और मेरे दर्द की दवा भी तो वो है,
वो नमक ज़ख्मों पे लगाते है तो क्या,
मोहब्बत करने की वजह भी तो वो है।
यूँ तो हर एक दिल में दर्द नया होता है,
बस बयां करने का अंदाज़ जुदा होता है,
कुछ लोग आँखों से दर्द को बहा लेते हैं,
और किसी की हँसी में भी दर्द छुपा होता है।
ऐसा नहीं कि आप हमें याद नहीं आते,
माना कि जहाँ के सब रिश्ते निभाये नहीं जाते,
जो बस जाते हैं दिल में वो भुलाए नहीं जाते,
पर बेवफाओं से हर तरह के रिश्ते निभाये नहीं जाते।
लिखूं कुछ आज यह वक़्त का तकाजा है,
मेरे दिल का दर्द अभी ताजा-ताजा है,
गिर पड़ते हैं मेरे आंसू मेरे ही कागज पर,
लगता है कि कलम में स्याही का दर्द ज्यादा है।
ना कर तू इतनी कोशिशे,
मेरे दर्द को समझने की,
पहले इश्क़ कर, फिर ज़ख्म खा,
फिर लिख दवा मेरे दर्द की।
सोचता हूँ सागर की लहरों को देख कर,
क्यूँ ये किनारे से टकरा कर पलट जातें हैं,
करते हैं ये सागर से बेवफाई,
या फिर सागर से वफ़ा निभातें हैं।
मत फेंक पानी मे पत्थर,
उसे भी कोई पिता है,
मत रहो खफा जिंदगी से,
तुम्हे देखकर भी कोई जीता है।
तेरे बाद खुद को इतना तनहा पाया,
जैसे लोग हमें दफना के चले गए हो।
प्यार सभी को जीना सिखा देता है,
वफ़ा के नाम पे मरना सिखा देता है,
प्यार नहीं किया तो करके देख लो यार,
ज़ालिम हर दर्द सहना सिखा देता है।
एक सिलसिले की उमीद थी जिनसे,
वही फ़ासले बनाते गये,
हम तो पास आने की कोशिश मे थे,
जाने क्यूँ वो दूरियाँ बढ़ाते गये।
इजाज़त हो तो तेरे चेहरे को देख लूँ जी भर के,
मुद्दतों से इन आँखों ने कोई बेवफा नहीं देखा।
बिन बताये उसने ना जाने क्यों ये दूरी कर दी,
बिछड़ के उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी,
मेरे मुकद्दर में ग़म आये तो क्या हुआ,
खुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी।
तुमको पाने की तमन्ना नहीं,
फिर भी खोने का डर है,
देखो कितनी शिद्दत से मैनें,
तुमसे मोहब्बत की है।
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता,
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता,
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में,
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता।