जल को बर्फ़ में बदलने में वक्त लगता है,
सूरज को निकलने में वक्त लगता है,
किस्मत को तो हम बदल नही सकते ,
लेकिन अपने हौसलो से किस्मत बदलने में वक्त लगता है।
चलता रहूँगा पथ पर,
चलने में माहिर बन जाऊँगा,
या तो मंजिल मिल जायेगी,
या अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा।
जो मुस्कुरा रहा है उसे दर्द ने पाला होगा,
जो चल रहा है उसके पाँव में छाला होगा,
बिना संघर्ष के इन्सान चमक नही सकता,
जो जलेगा उसी दिये में तो उजाला होगा।
ज़िन्दगी की असली उड़ान अभी बाकी है,
मंज़िल के कई इम्तिहान अभी बाकी है,
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीं हमने,
अभी तो सारा आसमान बाकी है।
बेहतर से बेहतर कि तलाश करो,
मिल जाये नदी तो समंदर कि तलाश करो,
टूट जाता है शीशा पत्थर कि चोट से,
टूट जाये पत्थर ऐसा शीशा तलाश करो।
अगर ज़िन्दगी में कुछ बड़ा करना तो,
एक बात हमेशा याद रखना,
प्यार,इश्क़,मोहब्बत से,
हमेशा दूर ही रहना।
जिसमे उबाल हो ऐसा खून चाहिये,
जीत के खातिर ऐसा जुनून चाहिए,
ये आसमान भी आएगा ज़मीन पर,
बस इरादों में ऐसी गूंज होनी चाहिये।
नहीं चल पायेगा वो एक पग भी,
भले बैसाखियाँ सोने की दे दो,
सहारे की जिसे आदत पड़ी हो,
उसे हिम्मत खड़े होने की दे दो।
25 की उम्र में लोग शादी करके,
अपने बच्चों के बारे में सोचते है,
और मुझे मेरी माँ को AUDI के,
आगे वाली सीट पर बैठाना है।
ज़िंदगी तस्वीर भी है ओर तक़दीर भी हैं,
फरक तो बस रंगो का हैं,
मनचाहे रंगो से बने तो तस्वीर,
ओर अनजाने रंगो से बने तो तक़दीर।
जो फ़कीरी मिजाज़ रखते हैं,
वो ठोकरों में ताज रखते हैं,
जिनको कल की फ़िक्र नहीं,
वो मुठ्ठी में आज रखते हैं।
नज़र-नज़र में उतरना कमाल होता है,
नफ़स-नफ़स में बिखरना कमाल होता है,
बुलंदियों पे पहुँचना कोई कमाल नहीं,
बुलंदियों पे ठहरना कमाल होता है।
मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है,
हर पहलू ज़िन्दगी का इम्तिहान होता है,
डरने वालों को मिलता नहीं कुछ ज़िन्दगी में,
लड़ने वाले के कदमों में जहान होता है।
छू ले आसमान ज़मीं की तलाश न कर,
जी ले ज़िन्दगी ख़ुशी की तलाश न कर,
तकदीर बदल जाएगी खुद ही मेरे दोस्त,
मुस्कुराना सीख ले वजह की तलाश न कर।
कश्ती डूब कर निकल सकती है,
शमा बुझ कर भी जल सकती है,
मायूस ना हो इरादे ना बदल,
किस्मत किसी भी वक़्त बदल सकती है।
होके मायूस न यूं शाम से ढलते रहिये,
ज़िन्दगी भोर है सूरज सा निकलते रहिये,
एक ही पाँव पे ठहरोगे तो थक जाओगे,
धीरे-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये।
मुक्कदर लिखने वाले मुझ पर एक एहसान कर दे,
मेरे दोस्त की ज़िंदगी में एक और मुस्कान लिख दे,
अब एक भी दर्द न उनकी ज़िंदगी मे लिखना,
चाहे तो उनके मुक्कदर में मेरी जान लिख दे।
बूझी शमां भी जल सकती है,
तूफ़ान से कश्ती भी निकल सकती है,
होके मायूस यूँ ना अपने इरादे बदल,
तेरी किस्मत कभी भी बदल सकती है।
परिंदो को मिलेगी मंज़िल एक दिन,
ये फैले हुए उनके पर बोलते है,
वही लोग रहते है खामोश अक्सर ज़माने में,
जिनके हुनर बोलते है।
जब टूटने लगे हौंसला तो बस ये याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख़्त-ओ-ताज नहीं होते,
ढूढ़ लेना अंधेरे में ही मंज़िल अपनी दोस्तों,
क्योंकि जुगनू कभी रोशनी के मोहताज़ नहीं होते।