हाथ थामकर तुम्हारा नाव पर सवार हो गयी थी मैं,
अब जो छोड़ोगे हाथ बीच भँवर में तो कहाँ जाऊंगी मैं।
नहीं बता सकती हूँ की,
क्या हाल दिल का मेरा है,
बस इतना समझ लो तुम बिन,
ना ज़िन्दगी में मेरे सवेरा है।
इतनी फुर्सत किसको है,
जो हमारी याद में आंसू बहाये,
कोई नहीं इस दुनिया में,
जो हमे इस तरह से चाहे।
पता ही नहीं चला कब वो दोस्त से प्यार बन गया,
साथ गुजरा हुआ कुछ पल आज यादगार बन गया,
कर न सके उनसे इज़हार हम इस बात का,
और देखते ही देखते वह किसी और के दिलदार बन गया।
सोचा भी न था ऐसे लम्हों का सामना होगा,
मंजिल तो सामने होगी पर रास्ता न होगा।
है कोई वकील इस जहान में,
जो हारा हुआ इश्क जीता दे मुझको।
दिल से खेलना तो हमे भी आता है,
लेकिन जिस खैल मे खिलौना टुट जाए,
वो खेल हमे पसंद नही।
दुश्मनों की अब किसे जरूरत है,
अपने ही काफी है दर्द देने के लिए।
हाल ऐ दिल बयां ना कर पाएंगे,
ज़िन्दगी तुझ बिन किस तरह बिताएंगे,
हमको आता ही नहीं जीना तेरे बगैर,
हम तो तुम्हारे बिन मर ही जायेंगे।
दिल पर किसी के यु ऐतबार न करो,
दिल से किसी का इंतज़ार न करो,
कांटे ही कांटे है इस राह में,
हद से भी ज़्यादा किसी से प्यार न करो।