पता ही नहीं चला कब वो दोस्त से प्यार बन गया,
साथ गुजरा हुआ कुछ पल आज यादगार बन गया,
कर न सके उनसे इज़हार हम इस बात का,
और देखते ही देखते वह किसी और के दिलदार बन गया।
मिल जायेगा हमें भी कोई टूट के चाहने वाला,
अब शहर का शहर तो बेवफा नहीं हो सकता।
मेरे ज़ज्बात की कदर ही कहाँ,
सिर्फ इलज़ाम लगाना ही उनकी फितरत है।
नहीं डर लगता मुझे अब गैरों से,
क्यों की मिला है दर्द मुझे अपनों से।
प्यार करके जताए ये जरुरी तो नहीं,
याद करके कोई बताए ये जरुरी तो नहीं,
रोने वाले तो दिल में ही रो लेता है,
आँख में आंसू आए ये जरुरी तो नहीं।
आवाज नहीं होती दिल टूटने की,
लेकिन तकलीफ बहुत होती है।
है कोई वकील इस जहान में,
जो हारा हुआ इश्क जीता दे मुझको।
तुम दोस्ती को मोहब्बत में बदलना चाहते थे,
देखा इस मोहब्बत ने हमें दूर कर दिया।
इस तरह चुपचाप से बिताई है ज़िंदगी मैंने,
धड़कन को भी खबर न लगी कि दिल रो रहा है।
जो मिलते हैं वो बिछड़ते भी हैं हम नादान थे,
दिल की उम्मीदों का हौंसला तो देखो।