पता ही नहीं चला कब वो दोस्त से प्यार बन गया,
साथ गुजरा हुआ कुछ पल आज यादगार बन गया,
कर न सके उनसे इज़हार हम इस बात का,
और देखते ही देखते वह किसी और के दिलदार बन गया।
दुश्मनों की अब किसे जरूरत है,
अपने ही काफी है दर्द देने के लिए।
हमें सताने की जरुरत क्या थी,
दिल मेरा जलाने की जरुरत क्या थी,
इश्क़ नहीं था मुझसे तो कह दिया होता,
मजाक मेरा यु बनाने की जरुरत क्या थी।
नींद भी नीलाम हो जाती है बाज़ार-ए-इश्क में,
किसी को भूल कर सो जाना, आसान नहीं होता।
नहीं बता सकती हूँ की,
क्या हाल दिल का मेरा है,
बस इतना समझ लो तुम बिन,
ना ज़िन्दगी में मेरे सवेरा है।
निकला करो इधर से भी होकर कभी कभी,
आया करो हमारे भी घर पर कभी कभी,
माना कि रूठ जाना यूँ आदत है आप की,
लगते मगर हैं अच्छे ये तेवर कभी कभी।
बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का,
अधूरी हो सकती है मगर खत्म नहीं।
वफ़ा सबको मिली दुनिया में हमारे सिवा,
हमें जब भी प्यार हुआ बेकदरों से हुआ।
ग़म हूँ, दर्द हूँ, साज़ हूँ, या आवाज़ हूँ,
बस जो भी हूँ तुम बिन बहुत उदास हूँ।
हाल ऐ दिल बयां ना कर पाएंगे,
ज़िन्दगी तुझ बिन किस तरह बिताएंगे,
हमको आता ही नहीं जीना तेरे बगैर,
हम तो तुम्हारे बिन मर ही जायेंगे।