मोहब्बत हो गई है बेइंतहा एक अजनबी से,
और हाल ऐ दिल को पता ही नही।
आए दिन हमें रुलाती है,
ये यादें बेइंतहां सताती है |
अपनी चाहतों में उसका ही इज़हार करते हैं,
बेइंतहां उसकी मन्नतें और बेशुमार करते हैं
मांगते हैं उस रब से आज एक दुआ,
और उस दुआ में तेरा ज़िक्र बार-बार करते हैं।
तेरे बेइंतहां सवालों से उलझना नहीं आता मुझे,
किसी और की तरह प्यार करना नहीं आता मुझे।
बेइंतहा इश्क के अधूरे सपने,
अधूरी बाते अधूरी यादे अधूरे वादे,
फर्क बस इतना पड़ता है की,
ये अधूरापन मुझे चीर के रख देता है।
शाम आई थी एक जाम लेकर,
तेरे हुस्न का पैग़ाम लेकर,
जाते जाते तेरी याद दिला गई,
आज फिर हमें बेइंतहां सता गई।
अपनी बेइंतहां चाहत हम संवार लेंगे,
जिस दिन अपने रंग में उनको हम ढ़ाल लेंगे।
यादों में तेरी डूब जाता हूं,
कैसे बताऊं के तुझे मैं बेइंतहां चाहता हूं।
प्यार तो हमने तुमसे बेइंतहा किया था,
हां झूठ बोलते थे कि अब याद नहीं करते,
हर दिन, हर पल ,हर एक सांस किया है।
तेरी याद के जख्म जब भरने लगते हैं,
हम तुम्हें बेइंतहा याद करने लगते हैं।
तुझे देख के हम ठहरने लगें हैं,
रफ्ता-रफ्ता बेइंतहां प्यार करने लगे हैं।
इंतज़ार की घड़ी बेइंतहा सताती है,
हर रात वो हमारी आंखें भर जाती है।
प्यार तो प्यार है जनाब,
चाहे एकतरफा हो या दो तरफा हो,
माना कि इश्क नहीं आपको हमसे,
पर हमें तो बेइंतेहा है।
इश्क़ के मायने उसी से सीखे हैं मैंने,
अब उसी से बेइंतहा मोहब्बत ना हो तो क्या हो।
मत करो यार किसी से इतनी बेइंतहा मोहब्बत,
जो लोग बात नही कर सकते, वो मोहब्बत क्या करेंगे।
बेइंतहा प्यार का बस एक ही सहारा है,
इस दिल को थाम ले, जो सिर्फ तेरे लिए आवारा है।
तुम नशा हो जैसे पहली शराब की तरह,
तुम तमन्ना हो जैसे पहली किताब की तरह,
तुम ही खुशबू हो और तुम मेरी इबादत,
तुम नायाब हो बेइंतहां, जैसे एक गुलाब की तरह।
मन्नतो में तुम हमारे एक ख्वाब सा हो,
किसी हल्की बरसात के पीछे, एक ठहरी मेहताब सा हो,
बेइंतहा चाहत की हक़दार हो तुम,
तुम एक नज़्म नायाब सा हो।
बेइंतेहा इश्क का यही अंजाम होता है,
या मशहूर हो जाता है या बदनाम होता है।
ज़िन्दगी में जो हमारे बहोत ख़ास है,
वो एक तेरी याद और बेइंतहां बरसात है।
जब दिल ये नाराज़ होता है,
गमों का बादल आस पास होता है,
याद आते हो तुम बेइंतहां,
जब भी दिल को तेरा एहसास होता है।
खुद को हम खुद से जूदा कर देंगे,
इस दर्द की लय को बेइंतहां कर देंगे।
सफर का मजा तब ही आता है,
जब नजारे अच्छे हो,
और इश्क़ करने का मजा तब ही आता है,
जब बेइंतहा मोहब्बत करने वाला हो।
तेरी बेइंतहां सवालें मुझे सताती है,
जितना सोचूं, उतना दूर ये ले जाती है।
बेइंतहां चाहतों की एक ही कहानी है,
रातें यादों से भरी और हर शाम दीवानी है।
बेइंतहा मोहब्बत तुझसे जब हुई,
तो लब्ज़ खामोश हो गये,
बेशक आंखों मैं नमी थी मेरी,
मगर पुराने जख्म सारे भर गये।