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बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरी

बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरीबेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरी,
फिर भी बेइंतहा तुझे चाहने की बेबसी मेरी।

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कोई रास्ता नहीं दुआ के सिवाकोई रास्ता नहीं दुआ के सिवा,
कोई सुनता नहीं यहां खुदा के सिवा,
मैंने भी जिंदगी को बहुत करीब से देखा है,
मुश्किल में कोई साथ नहीं देता आंसुओं के सिवा।

बहुत साल बीत गये तुम्हे देखे बिनाबहुत साल बीत गये तुम्हे देखे बिना,
आज भी सपने बस तेरे आते हैं।

हमें सताने की जरुरत क्या थीहमें सताने की जरुरत क्या थी,
दिल मेरा जलाने की जरुरत क्या थी,
इश्क़ नहीं था मुझसे तो कह दिया होता,
मजाक मेरा यु बनाने की जरुरत क्या थी।

हर सिग्नल तेरी याद दिलाता हैहर सिग्नल तेरी याद दिलाता है,
तूने भी रंग कुछ इसी तरह बदला था।

अक्सर वही लोग हम पर वार करते हैंअक्सर वही लोग हम पर वार करते हैं,
जिनपर हम हद से ज्यादा ऐतबार करते हैं।

काश वो समझते इस दिल की तड़प कोकाश वो समझते इस दिल की तड़प को,
तो हमें यूँ रुसवा न किया जाता,
यह बेरुखी भी उनकी मंज़ूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझ तो लिया होता।

बस आंखों ने रोना छोड़ा हैबस आंखों ने रोना छोड़ा है,
दिल तो आज भी तेरे लिए रोता है।

इंतजार उसका जिस को अहसास तक नहींइंतजार उसका जिस को अहसास तक नहीं,
एक शाम की मुलाकात को इश्क़ समझ बैठे।

हर रात जान बूझकर रखती हूँ दरवाज़ा खुलाहर रात जान बूझकर रखती हूँ दरवाज़ा खुला,
शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले।

मिल जायेगा हमें भी कोई टूट के चाहने वालामिल जायेगा हमें भी कोई टूट के चाहने वाला,
अब शहर का शहर तो बेवफा नहीं हो सकता।

युं तो गलत नही होते अंदाज चेहरों के लेकिनयुं तो गलत नही होते अंदाज चेहरों के लेकिन
लोग वैसे भी नहीं होते जैसे नजर आते है।

मेरे ज़ज्बात की कदर ही कहाँमेरे ज़ज्बात की कदर ही कहाँ,
सिर्फ इलज़ाम लगाना ही उनकी फितरत है।

दुश्मनों की अब किसे जरूरत हैदुश्मनों की अब किसे जरूरत है,
अपने ही काफी है दर्द देने के लिए।

दिए हैं ज़ख़्म तो मरहम का तकल्लुफ न करोदिए हैं ज़ख़्म तो मरहम का तकल्लुफ न करो,
थोड़ा सा तो रहने दो, मुझ पर एहसान अपना।

नींद भी नीलाम हो जाती है बाज़ार-ए-इश्क मेंनींद भी नीलाम हो जाती है बाज़ार-ए-इश्क में,
किसी को भूल कर सो जाना, आसान नहीं होता।

ग़म हूँ दर्द हूँ साज़ हूँ या आवाज़ हूँग़म हूँ, दर्द हूँ, साज़ हूँ, या आवाज़ हूँ,
बस जो भी हूँ तुम बिन बहुत उदास हूँ।

जो मिलते हैं वो बिछड़ते भी हैं हम नादान थेजो मिलते हैं वो बिछड़ते भी हैं हम नादान थे,
दिल की उम्मीदों का हौंसला तो देखो।

मैंने पूछा उनसे भुला दिया मुझको कैसेमैंने पूछा उनसे, भुला दिया मुझको कैसे?
चुटकियाँ बजा के वो बोले… ऐसे, ऐसे, ऐसे।

तुम अपने ज़ुल्म की इन्तेहाँ कर दोतुम अपने ज़ुल्म की इन्तेहाँ कर दो,
फिर कोई हम सा बेजुबां मिले ना मिले।

हाथ थामकर तुम्हारा नाव पर सवार हो गयी थी मैंहाथ थामकर तुम्हारा नाव पर सवार हो गयी थी मैं,
अब जो छोड़ोगे हाथ बीच भँवर में तो कहाँ जाऊंगी मैं।


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