ग़म हूँ, दर्द हूँ, साज़ हूँ, या आवाज़ हूँ,
बस जो भी हूँ तुम बिन बहुत उदास हूँ।
ये दिल अब किसी का ऐतबार नहीं करता,
करता है नफ़रतें मगर प्यार नहीं करता।
तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है,
जिसका रास्ता बहुत खराब है,
मेरे ज़ख्म का अंदाज़ा न लगा,
दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है।
किसके पास है इतना समय जो हमें याद कर सके,
कोई नहीं है इतना सच्चा जो दिल से प्यार कर सके।
युं तो गलत नही होते अंदाज चेहरों के लेकिन
लोग वैसे भी नहीं होते जैसे नजर आते है।
सोचा भी न था ऐसे लम्हों का सामना होगा,
मंजिल तो सामने होगी पर रास्ता न होगा।
अक्सर वही लोग हम पर वार करते हैं,
जिनपर हम हद से ज्यादा ऐतबार करते हैं।
पता ही नहीं चला कब वो दोस्त से प्यार बन गया,
साथ गुजरा हुआ कुछ पल आज यादगार बन गया,
कर न सके उनसे इज़हार हम इस बात का,
और देखते ही देखते वह किसी और के दिलदार बन गया।
एक खेल रत्न उसको भी दे दो,
बड़ा अच्छा खेलता है वो दिल से।
तुम अपने ज़ुल्म की इन्तेहाँ कर दो,
फिर कोई हम सा बेजुबां मिले ना मिले।