रोया है बहुत तब जरा करार मिला है,
इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है,
गुजर रही है जिंदगी इम्तिहान के दौर से,
एक ख़तम तो दूसरा तैयार मिला है।
जीते थे हम भी कभी शान से,
महक उठी थी जिंदगी किसी के नाम से,
मगर फिर गुज़रे उस मुकाम से,
कि नफ़रत सी हो गई मोहब्बत के नाम से।
मोहब्बत की कश्ती में
सोच समझ कर सवार होना मेरे दोस्त,
जब ये चलती है तो किनारा नहीं मिलता,
और जब डूबती है तो सहारा नहीं मिलता।
आँसू आ जाते है रोने से पहले,
ख्वाब टूट जाते है सोने से पहले,
लोग कहते है मोहब्बत गुनाह है,
काश कोई रोक लेते गुनाह होने से पहले।
तुझे इस तरह यू भुला ना सकेंगे,
तेरे अलावा किसी की अपना ना सकेंगे,
तू ही मेरी ज़िन्दगी मेरी जान है,
तेरी मोहब्बत का दाग हम धुला ना सकेंगे।
पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,
दिल में क्या है वो बात नही समझती,
तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती।
दर्द कितने है बता नहीं सकता,
ज़ख़्म कितने है दिखा नहीं सकता,
आँखों से समझ सको तो समझ लो,
आंसू गिरें है कितने, गिना नहीं सकता।
रोना पड़ता है मुस्कुराने के बाद,
याद आते है वो दूर जाने के बाद,
दिल तो दुखता है उसी के लिए,
जो अपना ना हो सके इतनी मोहब्बत जताने के बाद।
तेरे बिना तनहा हम रहने लगे है,
दर्द के तुफानो को सहने लगे है,
बदल गई है इस कदर मेरी जिंदगी,
अश्क बनकर पलकों से बहने लगे है।
अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दे,
कुछ दर्द तो कलेजे से लगाने के लिए है,
यह इल्म का सौदा, ये रिसाले, ये किताबे,
इक शख्स की यादों को भुलाने के लिए है।
हाले दिल वो प्यार से पूछने आए,
मेरी कमजोरी को वो परखने आए,
कौन क्या है कहना मुश्किल है,
लोग ऐसे-ऐसे मेरे सामने आए।
प्यार-मोहब्बत की बस इतनी सी कहानी है,
इक टूटी हुई कश्ती और ठहरा हुआ पानी है,
इक फूल जो किताबों में कहीं दम तोड़ चुका है,
कुछ याद नहीं आता किसकी निशानी है।
ज़ख्म जब मेरे सीने के भर जाएंगे,
आंसू भी मोती बन के बिखर जाएंगे,
ये मत पूछना किसने दर्द दिया,
वरना कुछ अपनों के सर झुक जाएंगे।
अगर वो खुश है देखकर आंसू मेरी आंखों में,
तो रब की कसम हम मुस्कुराना छोड़ देंगे,
तड़पते रहेंगे उसे देखने के लिए,
लेकिन उसकी तरफ नज़रें उठाना छोड़ देंगे।
वो पानी की लहरों पे क्या लिख रहा था,
खुदा जाने हरफ-ऐ-दुआ लिख रहा था,
मोहोब्बत में नफरत मिली थी उसे भी,
जो हर शक्स को बेवफा लिख रहा था।
तुझे चाहा भी तो इजहार न कर सके,
कट गई उम्र किसी से प्यार न कर सके,
तुने माँगा भी तो अपनी जुदाई मांगी,
और हम थे की इंकार न कर सके।
अब भी ताज़ा है जख्म सिने में,
बिन तेरे क्या रखा है जीने में,
हम तो जिन्दा है तेरा साथ पाने को,
वर्ना देर नहीं लगती है जहर पीने में।
पत्थरों से प्यार किया क्योंकि नादान थे हम,
गलती हुई क्योंकि इंसान थे हम,
आज जिन्हें हमसे नजरे मिलाने में तकलीफ होती है,
कल उसी इंसान की जान थे हम।
जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते है,
वो आये न आये हम इंतज़ार करते है,
झूठा ही सही मेरे यार का वादा,
हम सच मान कर ऐतबार करते है।
तुम्हारे दूर जाने के बाद
हम किसी का इंतज़ार नहीं करेंगे,
मेरी जान तुम्हारी कसम
हम ज़िन्दगी में दुबारा कभी प्यार नहीं करेंगे।