अगर फुर्सत के लम्हों में
मुझे याद करते हो तो अब मत करना,
क्योंकि मैं तन्हा जरूर हूँ
मगर फ़िज़ूल बिलकुल नहीं।
पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,
दिल में क्या है वो बात नही समझती,
तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती।
इस दिल की दास्ताँ भी बड़ी अजीब होती है,
बड़ी मुश्किल से इसे ख़ुशी नसीब होती है,
किसी के पास आने पर ख़ुशी हो न हो,
पर दूर जाने पर बड़ी तकलीफ होती है।
आरज़ू ये नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जाये,
फ़िक्र तो ये है कि कहीं आपका दिल न बदल जाये.
कभी मुझको अगर भुलाना चाहो तो,
दर्द इतना देना कि मेरा दम ही निकल जाये।
ये दर्द अगर काजल होता तो आँखों में लगा लेते,
दर्द अगर आँचल होता तो अपने सर पर सजा लेते,
दर्द अगर समुंदर होता तो दिल को हम साहिल बना लेते,
और दर्द अगर तेरी मोहब्बत होती,
तो उसको चाहत-ऐ ला हासिल बना लेते।
ज़ख्म दे कर ना पूछ तू मेरे दर्द की शिद्दत,
दर्द तो फिर दर्द है कम क्या ज्यादा क्या,
लोग कहते है हम मुस्कुराते बहुत है,
और हम थक गए दर्द छिपाते छिपाते।
मैं जानता हु तेरा इश्क मेरी किसमत में नहीं लेकिन,
फिर भी मैं तुझपे अपनी ज़िन्दगी लुटाना चाहता हु,
अपनी मोहब्बत से मोहब्बत बिना पाए कैसे करते है,
मैं इस युग के दीवानों को सिखाना चाहता हु।
मेरी चाहत ने उसे खुशी दे दी,
बदले में उसने मुझे सिर्फ खामोशी दे दी,
खुदा से दुआ मांगी मरने की लेकिन,
उसने भी तड़पने के लिए जिन्दगी दे दी।
तुम्हारे दूर जाने के बाद
हम किसी का इंतज़ार नहीं करेंगे,
मेरी जान तुम्हारी कसम
हम ज़िन्दगी में दुबारा कभी प्यार नहीं करेंगे।
मैंने खुदा से पूछा वो क्यों छोड़ गया मुझे,
उसकी क्या मजबूरी थी,
खुदा ने कहा न कसूर तेरा था न गलती उसकी थी,
मैंने ये कहानी लिखी ही अधूरी थी।
अब ये भी नहीं ठीक के हर दर्द मिटा दें,
कुछ दर्द तो कलेजे से लगाने के लिए है,
ये इल्म का सौदा, ये रिसाले, ये किताबें,
एक शख्स की यादों को भुलाने के लिए है।
प्यार-मोहब्बत की बस इतनी सी कहानी है,
इक टूटी हुई कश्ती और ठहरा हुआ पानी है,
इक फूल जो किताबों में कहीं दम तोड़ चुका है,
कुछ याद नहीं आता किसकी निशानी है।
दर्द कितने है बता नहीं सकता,
ज़ख़्म कितने है दिखा नहीं सकता,
आँखों से समझ सको तो समझ लो,
आंसू गिरें है कितने, गिना नहीं सकता।
कहाँ कोई ऐसा मिला जिस पर हम दुनिया लुटा देते,
हर एक ने धोखा दिया, किस-किस को भुला देते,
अपने दिल का ज़ख्म दिल में ही दबाये रखा,
बयां करते तो महफ़िल को रुला देते।
अब भी ताज़ा है जख्म सिने में,
बिन तेरे क्या रखा है जीने में,
हम तो जिन्दा है तेरा साथ पाने को,
वर्ना देर नहीं लगती है जहर पीने में।
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा,
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा।
यूँ तो हर एक दिल में दर्द नया होता है,
बस बयान करने का अंदाज़ जुदा होता है,
कुछ लोग आँखों से दर्द को बहा लेते है,
और किसी की हँसी में भी दर्द छुपा होता है।
एक तरफ हम है जो अपनी जिद पर अड़े है,
और एक तरफ हमारी जिंदगी जिसे हारना पसंद नहीं है,
वो चले थे तोड़ने हमे शीशा समझकर,
पर वो शायद भूल गए पथकर को तोडना आसान नहीं है।
बस इतना कसूर था मेरा,
एकतरफा प्यार किया उसको,
बताता भी तो कैसे बताता,
किसी और से प्यार था उसको।
आईना देखोगे तो मेरी याद आएगी,
साथ गुज़री वो मुलाकात याद आएगी,
पल भर क लिए वक़्त ठहर जाएगा,
जब आपको मेरी कोई बात याद आएगी।