रेत पर नाम कभी लिखते नहीं,
रेत पर नाम कभी टिकते नहीं,
लोग कहते है कि हम पत्थर दिल है,
लेकिन पत्थरों पर लिखे नाम कभी मिटते नहीं।
तुझे इस तरह यू भुला ना सकेंगे,
तेरे अलावा किसी की अपना ना सकेंगे,
तू ही मेरी ज़िन्दगी मेरी जान है,
तेरी मोहब्बत का दाग हम धुला ना सकेंगे।
आँखों के सागर में ये जलन है कैसी,
आज दिल को तड़पने की लगन है कैसी,
बर्फ की तरह पिघल जायेगी जिंदगी,
ये तेरी दूर रहने की कसम है कैसी।
कहाँ कोई ऐसा मिला जिस पर हम दुनिया लुटा देते,
हर एक ने धोखा दिया, किस-किस को भुला देते,
अपने दिल का ज़ख्म दिल में ही दबाये रखा,
बयां करते तो महफ़िल को रुला देते।
बड़ी आसानी से दिल लगाए जाते है,
पर बड़ी मुश्किल से वादे निभाए जाते है,
ले जाती है मोहब्बत उन राहों पर,
जहाँ दीये नहीं दिल जलाए जाते है।
मैंने खुदा से पूछा वो क्यों छोड़ गया मुझे,
उसकी क्या मजबूरी थी,
खुदा ने कहा न कसूर तेरा था न गलती उसकी थी,
मैंने ये कहानी लिखी ही अधूरी थी।
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता,
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता,
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में,
और वो कहते है इस तरह प्यार नहीं होता।
मैं जानता हु तेरा इश्क मेरी किसमत में नहीं लेकिन,
फिर भी मैं तुझपे अपनी ज़िन्दगी लुटाना चाहता हु,
अपनी मोहब्बत से मोहब्बत बिना पाए कैसे करते है,
मैं इस युग के दीवानों को सिखाना चाहता हु।
अब ये भी नहीं ठीक के हर दर्द मिटा दें,
कुछ दर्द तो कलेजे से लगाने के लिए है,
ये इल्म का सौदा, ये रिसाले, ये किताबें,
एक शख्स की यादों को भुलाने के लिए है।
अगर फुर्सत के लम्हों में
मुझे याद करते हो तो अब मत करना,
क्योंकि मैं तन्हा जरूर हूँ
मगर फ़िज़ूल बिलकुल नहीं।
तेरे बिना तनहा हम रहने लगे है,
दर्द के तुफानो को सहने लगे है,
बदल गई है इस कदर मेरी जिंदगी,
अश्क बनकर पलकों से बहने लगे है।
बस इतना कसूर था मेरा,
एकतरफा प्यार किया उसको,
बताता भी तो कैसे बताता,
किसी और से प्यार था उसको।
इस बहते दर्द को मत रोको,
यह तो सज़ा है किसी के इंतज़ार की,
लोग इन्हे आँसू कहे या दीवानगी,
पर यह तो निशानी है किसी के प्यार की।
रोया है बहुत तब जरा करार मिला है,
इस जहाँ में किसे भला सच्चा प्यार मिला है,
गुजर रही है जिंदगी इम्तिहान के दौर से,
एक ख़तम तो दूसरा तैयार मिला है।
इस दिल की दास्ताँ भी बड़ी अजीब होती है,
बड़ी मुश्किल से इसे ख़ुशी नसीब होती है,
किसी के पास आने पर ख़ुशी हो न हो,
पर दूर जाने पर बड़ी तकलीफ होती है।
प्यार-मोहब्बत की बस इतनी सी कहानी है,
इक टूटी हुई कश्ती और ठहरा हुआ पानी है,
इक फूल जो किताबों में कहीं दम तोड़ चुका है,
कुछ याद नहीं आता किसकी निशानी है।
जहाँ खामोश फिजा थी, साया भी न था,
हमसा कोई किसी जुर्म में आया भी न था,
न जाने क्यों छिनी गई हमसे हंसी,
हमने तो किसी का दिल दुखाया भी न था।
दर्द ही सही मेरे इश्क का इनाम तो आया,
खाली ही सही हाथों में जाम तो आया,
मैं हूँ बेवफ़ा सबको बताया उसने,
यूँ ही सही, उसके लबों पे मेरा नाम तो आया।
ज़ख्म दे कर ना पूछ तू मेरे दर्द की शिद्दत,
दर्द तो फिर दर्द है कम क्या ज्यादा क्या,
लोग कहते है हम मुस्कुराते बहुत है,
और हम थक गए दर्द छिपाते छिपाते।
अब भी ताज़ा है जख्म सिने में,
बिन तेरे क्या रखा है जीने में,
हम तो जिन्दा है तेरा साथ पाने को,
वर्ना देर नहीं लगती है जहर पीने में।