मैं जानता हु तेरा इश्क मेरी किसमत में नहीं लेकिन,
फिर भी मैं तुझपे अपनी ज़िन्दगी लुटाना चाहता हु,
अपनी मोहब्बत से मोहब्बत बिना पाए कैसे करते है,
मैं इस युग के दीवानों को सिखाना चाहता हु।
दर्द दे गए सितम भी दे गए,
ज़ख़्म के साथ वो मरहम भी दे गए,
दो लफ़्ज़ों से कर गए अपना मन हल्का,
और हमें कभी ना रोने की कसम दे गए।
जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते है,
वो आये न आये हम इंतज़ार करते है,
झूठा ही सही मेरे यार का वादा,
हम सच मान कर ऐतबार करते है।
आँखों के सागर में ये जलन है कैसी,
आज दिल को तड़पने की लगन है कैसी,
बर्फ की तरह पिघल जायेगी जिंदगी,
ये तेरी दूर रहने की कसम है कैसी।
तुम्हारे दूर जाने के बाद
हम किसी का इंतज़ार नहीं करेंगे,
मेरी जान तुम्हारी कसम
हम ज़िन्दगी में दुबारा कभी प्यार नहीं करेंगे।
दर्द कितने है बता नहीं सकता,
ज़ख़्म कितने है दिखा नहीं सकता,
आँखों से समझ सको तो समझ लो,
आंसू गिरें है कितने, गिना नहीं सकता।
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा,
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा।
दिल को ऐसा दर्द मिला जिसकी दवा नहीं,
फिर भी खुश हूँ मुझे उस से कोई शिकवा नहीं,
और कितने अश्क बहाऊँ अब उस के लिए,
जिसको खुदा ने मेरी किस्मत में लिखा ही नहीं।
दर्द ही सही मेरे इश्क का इनाम तो आया,
खाली ही सही हाथों में जाम तो आया,
मैं हूँ बेवफ़ा सबको बताया उसने,
यूँ ही सही, उसके लबों पे मेरा नाम तो आया।
आईना देखोगे तो मेरी याद आएगी,
साथ गुज़री वो मुलाकात याद आएगी,
पल भर क लिए वक़्त ठहर जाएगा,
जब आपको मेरी कोई बात याद आएगी।
रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हम ने,
कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने,
हाँ, मालूम है क्या चीज़ है मुहब्बत यारो,
अपना ही घर जल कर देखें है उजाले हमने।
मरना चाहें तो मर नहीं सकते,
तुम भी जीना मुहाल करते हो,
अब किस-किस की मिसाल दूँ तुम को,
हर सितम बे-मिसाल करते हो।
ना मेरा दिल बुरा था
ना उसमे कोई बुराई थी,
बस नसीब का खेल है
क्योंकि किस्मत में जुदाई थी।
जीते थे हम भी कभी शान से,
महक उठी थी जिंदगी किसी के नाम से,
मगर फिर गुज़रे उस मुकाम से,
कि नफ़रत सी हो गई मोहब्बत के नाम से।
पत्थरों से प्यार किया क्योंकि नादान थे हम,
गलती हुई क्योंकि इंसान थे हम,
आज जिन्हें हमसे नजरे मिलाने में तकलीफ होती है,
कल उसी इंसान की जान थे हम।
आरज़ू ये नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जाये,
फ़िक्र तो ये है कि कहीं आपका दिल न बदल जाये.
कभी मुझको अगर भुलाना चाहो तो,
दर्द इतना देना कि मेरा दम ही निकल जाये।
इस दिल की दास्ताँ भी बड़ी अजीब होती है,
बड़ी मुश्किल से इसे ख़ुशी नसीब होती है,
किसी के पास आने पर ख़ुशी हो न हो,
पर दूर जाने पर बड़ी तकलीफ होती है।
अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दे,
कुछ दर्द तो कलेजे से लगाने के लिए है,
यह इल्म का सौदा, ये रिसाले, ये किताबे,
इक शख्स की यादों को भुलाने के लिए है।
तड़प के देख किसी की चाहत में,
तो पता चले के इंतज़ार क्या होता है,
यु मिल जाए अगर कोई बिना तड़प के,
तो कैसे पता चले के प्यार क्या होता है।
प्यार-मोहब्बत की बस इतनी सी कहानी है,
इक टूटी हुई कश्ती और ठहरा हुआ पानी है,
इक फूल जो किताबों में कहीं दम तोड़ चुका है,
कुछ याद नहीं आता किसकी निशानी है।
यूँ तो हर एक दिल में दर्द नया होता है,
बस बयान करने का अंदाज़ जुदा होता है,
कुछ लोग आँखों से दर्द को बहा लेते है,
और किसी की हँसी में भी दर्द छुपा होता है।