आईना देखोगे तो मेरी याद आएगी,
साथ गुज़री वो मुलाकात याद आएगी,
पल भर क लिए वक़्त ठहर जाएगा,
जब आपको मेरी कोई बात याद आएगी।
दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता,
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता,
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में,
और वो कहते है इस तरह प्यार नहीं होता।
ज़ख्म दे कर ना पूछ तू मेरे दर्द की शिद्दत,
दर्द तो फिर दर्द है कम क्या ज्यादा क्या,
लोग कहते है हम मुस्कुराते बहुत है,
और हम थक गए दर्द छिपाते छिपाते।
बिन बताये उसने ना जाने क्यों ये दूरी कर दी,
बिछड़ के उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी,
मेरे मुकद्दर में ग़म आये तो क्या हुआ,
खुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी।
ज़ख्म जब मेरे सीने के भर जाएंगे,
आंसू भी मोती बन के बिखर जाएंगे,
ये मत पूछना किसने दर्द दिया,
वरना कुछ अपनों के सर झुक जाएंगे।
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा,
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा।
दर्द दे गए सितम भी दे गए,
ज़ख़्म के साथ वो मरहम भी दे गए,
दो लफ़्ज़ों से कर गए अपना मन हल्का,
और हमें कभी ना रोने की कसम दे गए।
अगर फुर्सत के लम्हों में
मुझे याद करते हो तो अब मत करना,
क्योंकि मैं तन्हा जरूर हूँ
मगर फ़िज़ूल बिलकुल नहीं।
अब ये भी नहीं ठीक के हर दर्द मिटा दें,
कुछ दर्द तो कलेजे से लगाने के लिए है,
ये इल्म का सौदा, ये रिसाले, ये किताबें,
एक शख्स की यादों को भुलाने के लिए है।
रेत पर नाम कभी लिखते नहीं,
रेत पर नाम कभी टिकते नहीं,
लोग कहते है कि हम पत्थर दिल है,
लेकिन पत्थरों पर लिखे नाम कभी मिटते नहीं।
दिल को ऐसा दर्द मिला जिसकी दवा नहीं,
फिर भी खुश हूँ मुझे उस से कोई शिकवा नहीं,
और कितने अश्क बहाऊँ अब उस के लिए,
जिसको खुदा ने मेरी किस्मत में लिखा ही नहीं।
अगर वो खुश है देखकर आंसू मेरी आंखों में,
तो रब की कसम हम मुस्कुराना छोड़ देंगे,
तड़पते रहेंगे उसे देखने के लिए,
लेकिन उसकी तरफ नज़रें उठाना छोड़ देंगे।
एक तरफ हम है जो अपनी जिद पर अड़े है,
और एक तरफ हमारी जिंदगी जिसे हारना पसंद नहीं है,
वो चले थे तोड़ने हमे शीशा समझकर,
पर वो शायद भूल गए पथकर को तोडना आसान नहीं है।
दर्द कितने है बता नहीं सकता,
ज़ख़्म कितने है दिखा नहीं सकता,
आँखों से समझ सको तो समझ लो,
आंसू गिरें है कितने, गिना नहीं सकता।
तुझे चाहा भी तो इजहार न कर सके,
कट गई उम्र किसी से प्यार न कर सके,
तुने माँगा भी तो अपनी जुदाई मांगी,
और हम थे की इंकार न कर सके।
पत्थरों से प्यार किया क्योंकि नादान थे हम,
गलती हुई क्योंकि इंसान थे हम,
आज जिन्हें हमसे नजरे मिलाने में तकलीफ होती है,
कल उसी इंसान की जान थे हम।
रोना पड़ता है मुस्कुराने के बाद,
याद आते है वो दूर जाने के बाद,
दिल तो दुखता है उसी के लिए,
जो अपना ना हो सके इतनी मोहब्बत जताने के बाद।
बस इतना कसूर था मेरा,
एकतरफा प्यार किया उसको,
बताता भी तो कैसे बताता,
किसी और से प्यार था उसको।
जीते थे हम भी कभी शान से,
महक उठी थी जिंदगी किसी के नाम से,
मगर फिर गुज़रे उस मुकाम से,
कि नफ़रत सी हो गई मोहब्बत के नाम से।
पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,
दिल में क्या है वो बात नही समझती,
तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती।