मां तेरे एहसास की खुशबू हमेशा ताजा रहती है,
तेरी रहमत की बारिश से मुरादें भीग जाती है।
मां की दुआ को क्या नाम दूं,
उसका हाथ हो सर पर तो मुकद्दर जाग उठता है।
बिन कहे आँखों में सब पढ़ लेती है,
बिन कहे जो गलती माफ़ कर दे वो माँ है।
सख्त राहों में भी आसान सफर लगता है,
यह मेरी माँ की दुआओं का ही असर लगता है।
पेट पर लात खाके फिर भी प्यार लुटाती है,
एक माँ ही है जो सच्चे प्यार की मूरत कहलाती है।
एक हस्ती है जो जान है मेरी,
जो जान से भी बढ़कर शान है मेरी,
रब हुक्म दे तो कर दूं सजदा उसे,
क्योंकि वो कोई और नहीं माँ है मेरी।
पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन,
बस इक औलाद के सितम से माँ टूट जाती है।
माँ तो जन्नत का फूल है प्यार करना उसका उसूल है,
दुनिया की मोहब्बत फिजूल है माँ की हर दुआ कबूल है,
माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है,
माँ के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है।
दिन की रौशनी ख्वाबो को बनाने मे गुजर गयी,
रात की नींद बच्चे को सुलाने मे गुजर गयी,
जिस मकान मे तेरे नाम की तख्ती भी नहीं है,
सारी उम्र उस मकान को बनाने मे गुजर गयी।
है एक कर्ज़ जो हर दम सवार रहता है,
वो माँ का प्यार है . सब पर उधार रहता है।
माँ की दुआएँ ज़िन्दगी बना देंगी,
खुद रोएगी पर तुम्हें हंसा देगी,
कभी ना रुलाना अपनी माँ को,
ये गलती पूरा अर्श हिला देगी।
माँ से बढ़कर कोई नाम क्या होगा,
इस नाम का हमसे एहतराम क्या होगा,
जिसके पैरों के नीचे जन्नत है,
उसके सर का मक़ाम क्या होगा।
हमारे कुछ गुनाहों की सजा भी साथ चलती है,
हम अब तन्हा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है,
अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा,
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है।
एक दुनिया हैं जो समझाने से भी नहीं समझती,
एक माँ थी बिन बोले सब समझ जाती थी।
बिना हुनर के भी वो चार औलाद पाल लेती है,
कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।
उसके चहरे पे न कभी थकावट देखी है,
न ममता में कभी मिलावट देखी है।
जो शिक्षा का ज्ञान दे उसे शिक्षक कहते है,
और जो खुशियों का वरदान दे उसे मां कहते है।
ज़िंदगी में उसका दुलार काफ़ी है,
सर पर उसका हाथ काफी है,
दूर हो या पास क्या फर्क पड़ता है,
माँ का तो बस एहसास ही काफ़ी है।
मैं सब कुछ भूल सकता हूँ, तुम्हे नहीं माँ,
मुस्कुराने की वजह सिर्फ तुम हो।
मेरी तकदीर में कभी कोई गम नहीं होता,
अगर तकदीर लिखने का हक मेरी माँ को होता।