एक हस्ती है जो जान है मेरी,
जो जान से भी बढ़कर शान है मेरी,
रब हुक्म दे तो कर दूं सजदा उसे,
क्योंकि वो कोई और नहीं माँ है मेरी।
माँ की दुआएँ ज़िन्दगी बना देंगी,
खुद रोएगी पर तुम्हें हंसा देगी,
कभी ना रुलाना अपनी माँ को,
ये गलती पूरा अर्श हिला देगी।
मां की दुआ को क्या नाम दूं,
उसका हाथ हो सर पर तो मुकद्दर जाग उठता है।
दुनिया की मोहब्बत फिजूल है,
माँ की हर दुआ कबूल है,
माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है,
माँ के कदमों की मिट्टी जन्नत की धूल है।
बिना हुनर के भी वो चार औलाद पाल लेती है,
कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।
बिन कहे आँखों में सब पढ़ लेती है,
बिन कहे जो गलती माफ़ कर दे वो माँ है।
वक़्त आँखों से जब नींदें चुरा लेता है,
दर्द आँखों में घरौंदा बना लेता है,
ज़ख्म यादों के सिरहाने बैठ जाता है,
माँ की गोद तन्हाई को बना लेता है।
माँ तो जन्नत का फूल है प्यार करना उसका उसूल है,
दुनिया की मोहब्बत फिजूल है माँ की हर दुआ कबूल है,
माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है,
माँ के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है।
माँ खुद भूखी होती है, मुझे खिलाती है,
खुद दुःखी होती है, मुझे चैन की नींद सुलाती है।
बिना बताए ही वो हर बात जान जाती है,
वो माँ ही तो अपनी दोस्त बन जाती है,
अगर कोई मुसीबत आए तो ढाल बन जाती है,
वो माँ ही है जो दुआ बन जाती है।