सोच बदल कर देखिए जिंदगी बदल जाएगी,
मंदिर में किसे खुश करने जाते है,
जब भगवान घर में ही उदास बैठे है।
मुझे फर्क नही पड़ता ये दुनिया मुझे क्या कहती है,
में बहुत अच्छा हु, माँ ये मेरी कहती है।
एक दुनिया हैं जो समझाने से भी नहीं समझती,
एक माँ थी बिन बोले सब समझ जाती थी।
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारे हैं कितने,
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।
बिना हुनर के भी वो चार औलाद पाल लेती है,
कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।
माँ तो जन्नत का फूल है प्यार करना उसका उसूल है,
दुनिया की मोहब्बत फिजूल है माँ की हर दुआ कबूल है,
माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है,
माँ के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है।
उसकी डांट में भी प्यार नजर आता है,
माँ की याद में दुआ नजर आती है।
खूबसूरती की इंतहा बेपनाह देखी,
जब मैंने मुस्कराती हुई माँ देखी।
दुनिया की मोहब्बत फिजूल है,
माँ की हर दुआ कबूल है,
माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है,
माँ के कदमों की मिट्टी जन्नत की धूल है।
मां कहती नहीं लेकिन सब कुछ समझती है,
दिल की और जुबां की दोनों भाषा समझती है।