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Home Maa Shayari in Hindi & English Maa Shayari in Hindi - माँ शायरी हिंदी में

न अपनों से खुलता है न ही गैरों से खुलता है

न अपनों से खुलता है न ही गैरों से खुलता हैन अपनों से खुलता है न ही गैरों से खुलता है,
ये जन्नत का दरवाज़ा है माँ के पैरो से खुलता है।

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पेट पर लात खाके फिर भी प्यार लुटाती हैपेट पर लात खाके फिर भी प्यार लुटाती है,
एक माँ ही है जो सच्चे प्यार की मूरत कहलाती है।

दुनिया की मोहब्बत फिजूल है माँ की हर दुआ कबूल हैदुनिया की मोहब्बत फिजूल है,
माँ की हर दुआ कबूल है,
माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है,
माँ के कदमों की मिट्टी जन्नत की धूल है।

माँ तो जन्नत का फूल है प्यार करना उसका उसूल हैमाँ तो जन्नत का फूल है प्यार करना उसका उसूल है,
दुनिया की मोहब्बत फिजूल है माँ की हर दुआ कबूल है,
माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है,
माँ के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है।

पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिनपहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन,
बस इक औलाद के सितम से माँ टूट जाती है।

मैं सब कुछ ‪भूल सकता हूँ तुम्हे नहीं माँमैं सब कुछ ‪भूल सकता हूँ, तुम्हे नहीं माँ,
मुस्कुराने की वजह ‪सिर्फ‬ तुम हो।

मुझे माफ़ कर मेरे या खुदा झुक कर करू तेरा सजदामुझे माफ़ कर मेरे या खुदा,
झुक कर करू तेरा सजदा,
तुझसे भी पहले माँ मेरे लिए,
ना कर कभी मुझे माँ से जुदा।

खूबसूरती की इंतहा बेपनाह देखीखूबसूरती की इंतहा बेपनाह देखी,
जब मैंने मुस्कराती हुई माँ देखी।

मंज़िल दूर और सफ़र बहुत हैमंज़िल दूर और सफ़र बहुत है,
छोटी सी जिंदगी की फिकर बहुत है,
मार डालती ये दुनिया कब की हमें,
लेकिन माँ की दूवाओं में असर बहुत है।

मेरी तकदीर में कभी कोई गम नहीं होतामेरी तकदीर में कभी कोई गम नहीं होता,
अगर तकदीर लिखने का हक मेरी माँ को होता।

बिन कहे आँखों में सब पढ़ लेती हैबिन कहे आँखों में सब पढ़ लेती है,
बिन कहे जो गलती माफ़ कर दे वो माँ है।

ज़िंदगी में उसका दुलार काफ़ी हैज़िंदगी में उसका दुलार काफ़ी है,
सर पर उसका हाथ काफी है,
दूर हो या पास क्या फर्क पड़ता है,
माँ का तो बस एहसास ही काफ़ी है।

उसकी डांट में भी प्यार नजर आता हैउसकी डांट में भी प्यार नजर आता है,
माँ की याद में दुआ नजर आती है।

माँ खुद भूखी होती है मुझे खिलाती हैमाँ खुद भूखी होती है, मुझे खिलाती है,
खुद दुःखी होती है, मुझे चैन की नींद सुलाती है।

माँ कर देती है पर गिनाती नहीं हैमाँ कर देती है पर गिनाती नहीं है,
वो सह लेती है पर सुनाती नहीं है।

गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारे हैं कितनेगिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारे हैं कितने,
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।

जो शिक्षा का ज्ञान दे उसे शिक्षक कहते हैजो शिक्षा का ज्ञान दे उसे शिक्षक कहते है,
और जो खुशियों का वरदान दे उसे मां कहते है।

दिन की रौशनी ख्वाबो को बनाने मे गुजर गयीदिन की रौशनी ख्वाबो को बनाने मे गुजर गयी,
रात की नींद बच्चे को सुलाने मे गुजर गयी,
जिस मकान मे तेरे नाम की तख्ती भी नहीं है,
सारी उम्र उस मकान को बनाने मे गुजर गयी।

मां की दुआ को क्या नाम दूंमां की दुआ को क्या नाम दूं,
उसका हाथ हो सर पर तो मुकद्दर जाग उठता है।

किसी को जन्नत तो किसी को दो जहान चाहिएकिसी को जन्नत तो किसी को दो जहान चाहिए,
किसी को धन दौलत तो किसी को मकान चाहिए,
मुझे नहीं गरज़ इन नेअमतों की या रब,
जिसकी खिदमत से मिले सब वो माँ चाहिए।

एक हस्ती है जो जान है मेरीएक हस्ती है जो जान है मेरी,
जो जान से भी बढ़कर शान है मेरी,
रब हुक्म दे तो कर दूं सजदा उसे,
क्योंकि वो कोई और नहीं माँ है मेरी।


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