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Home Maa Shayari in Hindi & English Maa Shayari in Hindi - माँ शायरी हिंदी में

दिन की रौशनी ख्वाबो को बनाने मे गुजर गयी

दिन की रौशनी ख्वाबो को बनाने मे गुजर गयीदिन की रौशनी ख्वाबो को बनाने मे गुजर गयी,
रात की नींद बच्चे को सुलाने मे गुजर गयी,
जिस मकान मे तेरे नाम की तख्ती भी नहीं है,
सारी उम्र उस मकान को बनाने मे गुजर गयी।

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माँ तेरी याद सताती है मेरे पास आ जाओमाँ तेरी याद सताती है मेरे पास आ जाओ,
थक गया हूँ मुझे अपने आँचल मे सुलाओ,
उंगलियाँ अपनी फेर कर बालो में मेरे,
एक बार फिर से बचपन कि लोरियां सुनाओ।

मुझे फर्क नही पड़ता ये दुनिया मुझे क्या कहती मुझे फर्क नही पड़ता ये दुनिया मुझे क्या कहती है,
में बहुत अच्छा हु, माँ ये मेरी कहती है।

चलती फिरती आंखों से अजां देखी हैचलती फिरती आंखों से अजां देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी लेकिन मां देखी है।

ऐ खुदा तूने गुल को गुलशन में जगा दीऐ खुदा तूने गुल को गुलशन में जगा दी,
पानी को समुद्र में जगा दी,
तू उसे जन्नत में जगा देना,
जिसने मुझे नौ महीने अपने पेट मे जगा दी।

बिन कहे आँखों में सब पढ़ लेती हैबिन कहे आँखों में सब पढ़ लेती है,
बिन कहे जो गलती माफ़ कर दे वो माँ है।

मां कहती नहीं लेकिन सब कुछ समझती हैमां कहती नहीं लेकिन सब कुछ समझती है,
दिल की और जुबां की दोनों भाषा समझती है।

सख्त राहों में भी आसान सफर लगता हैसख्त राहों में भी आसान सफर लगता है,
यह मेरी माँ की दुआओं का ही असर लगता है।

उसके चहरे पे न कभी थकावट देखी हैउसके चहरे पे न कभी थकावट देखी है,
न ममता में कभी मिलावट देखी है।

माँ से बढ़कर कोई नाम क्या होगामाँ से बढ़कर कोई नाम क्या होगा,
इस नाम का हमसे एहतराम क्या होगा,
जिसके पैरों के नीचे जन्नत है,
उसके सर का मक़ाम क्या होगा।

पेट पर लात खाके फिर भी प्यार लुटाती हैपेट पर लात खाके फिर भी प्यार लुटाती है,
एक माँ ही है जो सच्चे प्यार की मूरत कहलाती है।

मैं सब कुछ ‪भूल सकता हूँ तुम्हे नहीं माँमैं सब कुछ ‪भूल सकता हूँ, तुम्हे नहीं माँ,
मुस्कुराने की वजह ‪सिर्फ‬ तुम हो।

हमारे कुछ गुनाहों की सजा भी साथ चलती हैहमारे कुछ गुनाहों की सजा भी साथ चलती है,
हम अब तन्हा नहीं चलते दवा भी साथ चलती है,
अभी ज़िंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा,
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है।

मेरी याद में माँ मेरी गिन लेती है दिन सारेमेरी याद में माँ मेरी, गिन लेती है दिन सारे,
फिर भला कैसे कह दू, अनपढ़ है माँ मेरी।

रूह के रिश्तो की यह गहराइयां तो देखिएरूह के रिश्तो की यह गहराइयां तो देखिए,
चोट लगती है हमें और दर्द मां को होता है।

बिना हुनर के भी वो चार औलाद पाल लेती हैबिना हुनर के भी वो चार औलाद पाल लेती है,
कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी।

दुआ है रब से वो शाम कभी ना आएदुआ है रब से वो शाम कभी ना आए,
जब माँ दूर मुझसे हो जाए।

जो सब पर कृपा करे उसे ईश्वर कहते हैजो सब पर कृपा करे उसे ईश्वर कहते है,
जो ईश्वर को भी जन्म दें उसे मां कहते है।

माँ मुझको लोरी सुना दो अपनी गोद में मुझे सुला लोमाँ मुझको लोरी सुना दो,
अपनी गोद में मुझे सुला लो,
वही चंदा मामा वाली,
सात खिलौनों वाली लोरी फिर से सुना दो।

किसी को जन्नत तो किसी को दो जहान चाहिएकिसी को जन्नत तो किसी को दो जहान चाहिए,
किसी को धन दौलत तो किसी को मकान चाहिए,
मुझे नहीं गरज़ इन नेअमतों की या रब,
जिसकी खिदमत से मिले सब वो माँ चाहिए।

वक़्त आँखों से जब नींदें चुरा लेता हैवक़्त आँखों से जब नींदें चुरा लेता है,
दर्द आँखों में घरौंदा बना लेता है,
ज़ख्म यादों के सिरहाने बैठ जाता है,
माँ की गोद तन्हाई को बना लेता है।


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