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Home Alone Shayari in Hindi & English Alone Shayari 2 Line in Hindi - अलोन शायरी 2 लाइन इन हिंदी

मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं है

मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं हैमुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं है,
मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मोहब्बत नहीं है।

हुआ है तुझसे बिछड़ने के बाद ये मालूमहुआ है तुझसे बिछड़ने के बाद ये मालूम,
कि तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी।

सच कहा था किसी ने तन्हाई में जीना सीख लोसच कहा था किसी ने तन्हाई में जीना सीख लो,
मोहब्बत जितनी भी सच्ची हो साथ छोड़ ही जाती है।

सहारे ढूढ़ने की आदत नहीं हमारीसहारे ढूढ़ने की आदत नहीं हमारी,
हम अकेले पूरी महफिल के बराबर है।

क्या मैं अकेला ही हूँ ये सितम झेलने कोक्या मैं अकेला ही हूँ, ये सितम झेलने को,
अब तो कोई आ जाये, मेरी जिंदगी में खेलने को।

एक तुम्हीं थे जिसके दम पे चलती थी साँसें मेरीएक तुम्हीं थे जिसके दम पे चलती थी साँसें मेरी,
लौट आओ कि ज़िंदगी से वफ़ा निभाई नहीं जाती।

किसी का हाथ कैसे थाम लूँकिसी का हाथ कैसे थाम लूँ,
वो तनहा मिल गयी तो क्या कहूंगा।

अकेला भी इस तरह पड़ गया हूंअकेला भी इस तरह पड़ गया हूं,
कि मेरा हौसला भी साथ न दे रहा है।

तुम्हारे बगैर ये वक़्त ये दिन और ये राततुम्हारे बगैर ये वक़्त, ये दिन, और ये रात,
गुजर तो जाते है मगर गुजारे नहीं जाते।

उसे पाना उसे खोना उसी के हिज्र में रोनाउसे पाना उसे खोना उसी के हिज्र में रोना,
यही गर इश्क है तो हम तन्हा ही अच्छे है।

मेरी आँखों में देख आकर हसरतों के नक्शमेरी आँखों में देख आकर हसरतों के नक्श,
ख्वाबों में भी तेरे मिलने की फरियाद करते है।

अधूरी कहानी के किस्सो को हिस्सो मे बांट रही हुँ मैअधूरी कहानी के किस्सो को हिस्सो मे बांट रही हुँ मै,
दर्द भले ही दोनो के थे पर अकेले काट रही हुँ मै।

कैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम तुम्हारे बगैरकैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम तुम्हारे बगैर,
अगर तुम देख लेते तो कभी तन्हा न छोड़ते मुझे।

मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा हैमेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा है,
वो तारों में तन्हा है और मैं हजारों में तन्हा।

स्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगीस्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगी,
जहां लोग तो बहुत है, पर अपना कोई नहीं।

अजीब सी बेताबी रहती है तेरे बिनाअजीब सी बेताबी रहती है तेरे बिना,
रह भी लेते हैं और रहा भी नहीं जाता।

सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया कासहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का,
मैं एक कतरा हूँ तनहा, तो बह नहीं सकता।

दिल को आता है जब भी ख्याल उनकादिल को आता है जब भी ख्याल उनका,
तस्वीर से पूछते है फिर हाल उनका।

हम अपनी हस्ती मिटा कर भी तनहा हैहम अपनी हस्ती मिटा कर भी तनहा है,
सब कुछ लुटा कर भी तनहा है।

मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं हैमुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं है,
मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मोहब्बत नहीं है।

मैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हामैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हा,
वक़्त कुछ साथ गुजारा जाए।


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