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Home Alone Shayari in Hindi & English Alone Shayari 2 Line in Hindi - अलोन शायरी 2 लाइन इन हिंदी

चला जाऊंगा जैसे खुद को तन्हा छोड़ कर

चला जाऊंगा जैसे खुद को तन्हा छोड़ करचला जाऊंगा जैसे खुद को तन्हा छोड़ कर,
मैं अपने आपको रातों में उठकर देख लेता हूँ।

चला जाऊंगा जैसे खुद को तनहा छोड़ करचला जाऊंगा जैसे खुद को तनहा छोड़ कर,
मैं अपने आपको रातों में उठकर देख लेता हूँ।

दोहरी शक्सियत रखनें से इन्कार है हमेंदोहरी शक्सियत रखनें से इन्कार है हमें,
इसलिये अकेले रहना स्वीकार है हमें।

आज मैं अकेला हूँतो क्या हुआआज मैं अकेला हूँतो क्या हुआ,
एक दिन उसको भी मेरे बिना सब सुना सा लगेगा।

अजीब सी बेताबी रहती है तेरे बिनाअजीब सी बेताबी रहती है तेरे बिना,
रह भी लेते हैं और रहा भी नहीं जाता।

रोते है तनहा देख कर मुझको वो रास्तेरोते है तनहा देख कर मुझको वो रास्ते,
जिन पे तेरे बगैर मैं गुजरा कभी न था।

किसी का हाथ कैसे थाम लूँकिसी का हाथ कैसे थाम लूँ,
वो तनहा मिल गयी तो क्या कहूंगा।

हम अपनी हस्ती मिटा कर भी तनहा हैहम अपनी हस्ती मिटा कर भी तनहा है,
सब कुछ लुटा कर भी तनहा है।

स्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगीस्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगी,
जहां लोग तो बहुत है, पर अपना कोई नहीं।

सहारे ढूढ़ने की आदत नहीं हमारीसहारे ढूढ़ने की आदत नहीं हमारी,
हम अकेले पूरी महफिल के बराबर है।

मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं हैमुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं है,
मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मोहब्बत नहीं है।

किसी के दर्द में वो अपने ग़मों की झलक पाता हैकिसी के दर्द में वो अपने ग़मों की झलक पाता है,
बूढ़ा, लाचार, इंसान अक्सर अकेला रह जाता है।

क्या करेंगे महफिलों में हम बताक्या करेंगे महफिलों में हम बता,
मेरा दिल रहता है काफिलों में अकेला।

महफ़िल से दूर मैं अकेला हो गयामहफ़िल से दूर मैं अकेला हो गया,
सूना सूना मेरे लिए हर मेला हो गया।

न ढूंढ मेरा किरदार दुनिया की भीड़ मेंन ढूंढ मेरा किरदार दुनिया की भीड़ में,
वफादार तो हमेशा तन्हा ही मिलते है।

अकेला हूँ पर मुस्कुराता बहुत हूँअकेला हूँ पर मुस्कुराता बहुत हूँ,
ख़ुद का साथ बड़ी शिद्दत से दे रहा हूँ।

निगाहें अकेले गुनाह करती भी कैसेनिगाहें अकेले गुनाह करती भी कैसे,
जब तक मुस्कान उसका साथ न देती।

सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया कासहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का,
मैं एक कतरा हूँ तनहा, तो बह नहीं सकता।

बंद मुट्ठी से याद गिरती है रेत की मानिंदबंद मुट्ठी से याद गिरती है रेत की मानिंद,
वो चला गया ज़िन्दगी से ज़र्रा-ज़र्रा कर के।

हम वहां काम आएंगे जहां तुम्हारे अपने अकेला छोड़ जाएंगेहम वहां काम आएंगे,
जहां तुम्हारे अपने अकेला छोड़ जाएंगे।

क्या मैं अकेला ही हूँ ये सितम झेलने कोक्या मैं अकेला ही हूँ, ये सितम झेलने को,
अब तो कोई आ जाये, मेरी जिंदगी में खेलने को।


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