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Home Alone Shayari in Hindi & English Alone Shayari 2 Line in Hindi - अलोन शायरी 2 लाइन इन हिंदी

चला जाऊंगा जैसे खुद को तन्हा छोड़ कर

चला जाऊंगा जैसे खुद को तन्हा छोड़ करचला जाऊंगा जैसे खुद को तन्हा छोड़ कर,
मैं अपने आपको रातों में उठकर देख लेता हूँ।

अजीब सी बेताबी रहती है तेरे बिनाअजीब सी बेताबी रहती है तेरे बिना,
रह भी लेते हैं और रहा भी नहीं जाता।

मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा हैमेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा है,
वो तारों में तन्हा है और मैं हजारों में तन्हा।

जा रही हो सोने तो जाओ तुम मैं आऊंगा तेरे ख़्वाओ मेंजा रही हो सोने तो जाओ तुम, मैं आऊंगा तेरे ख़्वाओ में,
छोड़ना नही तुम मुझे अकेला, लिपटा लेना अपनी बाँहो में।

सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया कासहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का,
मैं एक कतरा हूँ तनहा, तो बह नहीं सकता।

किसी का हाथ कैसे थाम लूँकिसी का हाथ कैसे थाम लूँ,
वो तनहा मिल गयी तो क्या कहूंगा।

कैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम तुम्हारे बगैरकैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम तुम्हारे बगैर,
अगर तुम देख लेते तो कभी तन्हा न छोड़ते मुझे।

अकेला भी इस तरह पड़ गया हूंअकेला भी इस तरह पड़ गया हूं,
कि मेरा हौसला भी साथ न दे रहा है।

न ढूंढ मेरा किरदार दुनिया की भीड़ मेंन ढूंढ मेरा किरदार दुनिया की भीड़ में,
वफादार तो हमेशा तन्हा ही मिलते है।

सौ बार चमन महका सौ बार बहार आईसौ बार चमन महका सौ बार बहार आई,
दुनिया की वही रौनक दिल की वही तन्हाई।

सहारे ढूढ़ने की आदत नहीं हमारीसहारे ढूढ़ने की आदत नहीं हमारी,
हम अकेले पूरी महफिल के बराबर है।

तेरी यादों के पलकों पे दिन ढलती हैतेरी यादों के पलकों पे दिन ढलती है,
अब ये सफर बहुत तनहा चलती है।

मीठी सी खुशबू में रहते है गुमसुममीठी सी खुशबू में रहते है गुमसुम,
अपने अहसास से बाँट लो तन्हाई मेरी।

बंद मुट्ठी से याद गिरती है रेत की मानिंदबंद मुट्ठी से याद गिरती है रेत की मानिंद,
वो चला गया ज़िन्दगी से ज़र्रा-ज़र्रा कर के।

रोते है तनहा देख कर मुझको वो रास्तेरोते है तनहा देख कर मुझको वो रास्ते,
जिन पे तेरे बगैर मैं गुजरा कभी न था।

अभी ज़िंदा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ अकेले मेंअभी ज़िंदा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ अकेले में,
कि अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैंने।

स्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगीस्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगी,
जहां लोग तो बहुत है, पर अपना कोई नहीं।

मैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हामैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हा,
वक़्त कुछ साथ गुजारा जाए।

सच कहा था किसी ने तन्हाई में जीना सीख लोसच कहा था किसी ने तन्हाई में जीना सीख लो,
मोहब्बत जितनी भी सच्ची हो साथ छोड़ ही जाती है।

एक तुम्हीं थे जिसके दम पे चलती थी साँसें मेरीएक तुम्हीं थे जिसके दम पे चलती थी साँसें मेरी,
लौट आओ कि ज़िंदगी से वफ़ा निभाई नहीं जाती।

क्या मैं अकेला ही हूँ ये सितम झेलने कोक्या मैं अकेला ही हूँ, ये सितम झेलने को,
अब तो कोई आ जाये, मेरी जिंदगी में खेलने को।


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