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Home Alone Shayari in Hindi & English Alone Shayari 2 Line in Hindi - अलोन शायरी 2 लाइन इन हिंदी

तुम्हारे बगैर ये वक़्त ये दिन और ये रात

तुम्हारे बगैर ये वक़्त ये दिन और ये राततुम्हारे बगैर ये वक़्त, ये दिन, और ये रात,
गुजर तो जाते है मगर गुजारे नहीं जाते।

मेरी आँखों में देख आकर हसरतों के नक्शमेरी आँखों में देख आकर हसरतों के नक्श,
ख्वाबों में भी तेरे मिलने की फरियाद करते है।

अधूरी कहानी के किस्सो को हिस्सो मे बांट रही हुँ मैअधूरी कहानी के किस्सो को हिस्सो मे बांट रही हुँ मै,
दर्द भले ही दोनो के थे पर अकेले काट रही हुँ मै।

किसी के दर्द में वो अपने ग़मों की झलक पाता हैकिसी के दर्द में वो अपने ग़मों की झलक पाता है,
बूढ़ा, लाचार, इंसान अक्सर अकेला रह जाता है।

मैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हामैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हा,
वक़्त कुछ साथ गुजारा जाए।

तुम्हारे बगैर ये वक़्त ये दिन और ये राततुम्हारे बगैर ये वक़्त, ये दिन, और ये रात,
गुजर तो जाते है मगर गुजारे नहीं जाते।

दोहरी शक्सियत रखनें से इन्कार है हमेंदोहरी शक्सियत रखनें से इन्कार है हमें,
इसलिये अकेले रहना स्वीकार है हमें।

क्या मैं अकेला ही हूँ ये सितम झेलने कोक्या मैं अकेला ही हूँ, ये सितम झेलने को,
अब तो कोई आ जाये, मेरी जिंदगी में खेलने को।

जब से देखा है चाँद को तन्हाजब से देखा है चाँद को तन्हा,
तुम से भी कोई शिकायत ना रही।

किसके साथ चलूं किसकी हो जाऊंकिसके साथ चलूं, किसकी हो जाऊं,
बेहतर है अकेली रहूँ और तन्हा हो जाऊं।

बंद मुट्ठी से याद गिरती है रेत की मानिंदबंद मुट्ठी से याद गिरती है रेत की मानिंद,
वो चला गया ज़िन्दगी से ज़र्रा-ज़र्रा कर के।

हम वहां काम आएंगे जहां तुम्हारे अपने अकेला छोड़ जाएंगेहम वहां काम आएंगे,
जहां तुम्हारे अपने अकेला छोड़ जाएंगे।

मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं हैमुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं है,
मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मोहब्बत नहीं है।

मीठी सी खुशबू में रहते है गुमसुममीठी सी खुशबू में रहते है गुमसुम,
अपने अहसास से बाँट लो तन्हाई मेरी।

वहां से बिगड़ी है ज़िंदगी मेरी जहाँ से साथ तुमने छोड़ा थावहां से बिगड़ी है ज़िंदगी मेरी,
जहाँ से साथ तुमने छोड़ा था।

स्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगीस्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगी,
जहां लोग तो बहुत है, पर अपना कोई नहीं।

वो हर बार मुझे छोड़ के चली जाती है तन्हावो हर बार मुझे छोड़ के चली जाती है तन्हा,
मैं मजबूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ।

चला जाऊंगा जैसे खुद को तन्हा छोड़ करचला जाऊंगा जैसे खुद को तन्हा छोड़ कर,
मैं अपने आपको रातों में उठकर देख लेता हूँ।

दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थेदर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे,
जब बरसी ख़ुशियाँ न जाने भीड़ कहां से आई।

क्या करेंगे महफिलों में हम बताक्या करेंगे महफिलों में हम बता,
मेरा दिल रहता है काफिलों में अकेला।

किसी का हाथ कैसे थाम लूँकिसी का हाथ कैसे थाम लूँ,
वो तनहा मिल गयी तो क्या कहूंगा।


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