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Home Alone Shayari in Hindi & English Alone Shayari 2 Line in Hindi - अलोन शायरी 2 लाइन इन हिंदी

उसे पाना उसे खोना उसी के हिज्र में रोना

उसे पाना उसे खोना उसी के हिज्र में रोनाउसे पाना उसे खोना उसी के हिज्र में रोना,
यही गर इश्क है तो हम तन्हा ही अच्छे है।

तुम्हारे बगैर ये वक़्त ये दिन और ये राततुम्हारे बगैर ये वक़्त, ये दिन, और ये रात,
गुजर तो जाते है मगर गुजारे नहीं जाते।

क्या करेंगे महफिलों में हम बताक्या करेंगे महफिलों में हम बता,
मेरा दिल रहता है काफिलों में अकेला।

दिल को आता है जब भी ख्याल उनकादिल को आता है जब भी ख्याल उनका,
तस्वीर से पूछते है फिर हाल उनका।

सहारे ढूढ़ने की आदत नहीं हमारीसहारे ढूढ़ने की आदत नहीं हमारी,
हम अकेले पूरी महफिल के बराबर है।

तेरी यादों के पलकों पे दिन ढलती हैतेरी यादों के पलकों पे दिन ढलती है,
अब ये सफर बहुत तनहा चलती है।

यूँ भी हुआ रात को जब लोग सो गएयूँ भी हुआ रात को जब लोग सो गए,
तन्हाई और मैं तेरी बातों में खो गए।

महफ़िल से दूर मैं अकेला हो गयामहफ़िल से दूर मैं अकेला हो गया,
सूना सूना मेरे लिए हर मेला हो गया।

जा रही हो सोने तो जाओ तुम मैं आऊंगा तेरे ख़्वाओ मेंजा रही हो सोने तो जाओ तुम, मैं आऊंगा तेरे ख़्वाओ में,
छोड़ना नही तुम मुझे अकेला, लिपटा लेना अपनी बाँहो में।

अजीब सी बेताबी रहती है तेरे बिनाअजीब सी बेताबी रहती है तेरे बिना,
रह भी लेते हैं और रहा भी नहीं जाता।

किसके साथ चलूं किसकी हो जाऊंकिसके साथ चलूं, किसकी हो जाऊं,
बेहतर है अकेली रहूँ और तन्हा हो जाऊं।

वो हर बार मुझे छोड़ के चली जाती है तन्हावो हर बार मुझे छोड़ के चली जाती है तन्हा,
मैं मजबूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ।

आज मैं अकेला हूँतो क्या हुआआज मैं अकेला हूँतो क्या हुआ,
एक दिन उसको भी मेरे बिना सब सुना सा लगेगा।

किसी का हाथ कैसे थाम लूँकिसी का हाथ कैसे थाम लूँ,
वो तनहा मिल गयी तो क्या कहूंगा।

रोते है तनहा देख कर मुझको वो रास्तेरोते है तनहा देख कर मुझको वो रास्ते,
जिन पे तेरे बगैर मैं गुजरा कभी न था।

मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा हैमेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा है,
वो तारों में तन्हा है और मैं हजारों में तन्हा।

अभी ज़िंदा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ अकेले मेंअभी ज़िंदा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ अकेले में,
कि अब तक किस तमन्ना के सहारे जी लिया मैंने।

दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थेदर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे,
जब बरसी ख़ुशियाँ न जाने भीड़ कहां से आई।

बंद मुट्ठी से याद गिरती है रेत की मानिंदबंद मुट्ठी से याद गिरती है रेत की मानिंद,
वो चला गया ज़िन्दगी से ज़र्रा-ज़र्रा कर के।

क्या मैं अकेला ही हूँ ये सितम झेलने कोक्या मैं अकेला ही हूँ, ये सितम झेलने को,
अब तो कोई आ जाये, मेरी जिंदगी में खेलने को।

अकेला भी इस तरह पड़ गया हूंअकेला भी इस तरह पड़ गया हूं,
कि मेरा हौसला भी साथ न दे रहा है।


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