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Home Alone Shayari in Hindi & English Alone Shayari 2 Line in Hindi - अलोन शायरी 2 लाइन इन हिंदी

कैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम तुम्हारे बगैर

कैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम तुम्हारे बगैरकैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम तुम्हारे बगैर,
अगर तुम देख लेते तो कभी तन्हा न छोड़ते मुझे।

क्या करेंगे महफिलों में हम बताक्या करेंगे महफिलों में हम बता,
मेरा दिल रहता है काफिलों में अकेला।

चला जाऊंगा जैसे खुद को तन्हा छोड़ करचला जाऊंगा जैसे खुद को तन्हा छोड़ कर,
मैं अपने आपको रातों में उठकर देख लेता हूँ।

किसी के दर्द में वो अपने ग़मों की झलक पाता हैकिसी के दर्द में वो अपने ग़मों की झलक पाता है,
बूढ़ा, लाचार, इंसान अक्सर अकेला रह जाता है।

जा रही हो सोने तो जाओ तुम मैं आऊंगा तेरे ख़्वाओ मेंजा रही हो सोने तो जाओ तुम, मैं आऊंगा तेरे ख़्वाओ में,
छोड़ना नही तुम मुझे अकेला, लिपटा लेना अपनी बाँहो में।

दिल को आता है जब भी ख्याल उनकादिल को आता है जब भी ख्याल उनका,
तस्वीर से पूछते है फिर हाल उनका।

क्या मैं अकेला ही हूँ ये सितम झेलने कोक्या मैं अकेला ही हूँ, ये सितम झेलने को,
अब तो कोई आ जाये, मेरी जिंदगी में खेलने को।

निगाहें अकेले गुनाह करती भी कैसेनिगाहें अकेले गुनाह करती भी कैसे,
जब तक मुस्कान उसका साथ न देती।

यूँ भी हुआ रात को जब लोग सो गएयूँ भी हुआ रात को जब लोग सो गए,
तन्हाई और मैं तेरी बातों में खो गए।

हुआ है तुझसे बिछड़ने के बाद ये मालूमहुआ है तुझसे बिछड़ने के बाद ये मालूम,
कि तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी।

मीठी सी खुशबू में रहते है गुमसुममीठी सी खुशबू में रहते है गुमसुम,
अपने अहसास से बाँट लो तन्हाई मेरी।

मैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हामैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हा,
वक़्त कुछ साथ गुजारा जाए।

किसी का हाथ कैसे थाम लूँकिसी का हाथ कैसे थाम लूँ,
वो तनहा मिल गयी तो क्या कहूंगा।

एक उम्र है जो तेरे बगैर गुजारनी हैएक उम्र है जो तेरे बगैर गुजारनी है,
और एक लम्हा भी तेरे बगैर गुजरता नहीं।

मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा हैमेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा है,
वो तारों में तन्हा है और मैं हजारों में तन्हा।

मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं हैमुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं है,
मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मोहब्बत नहीं है।

चला जाऊंगा जैसे खुद को तनहा छोड़ करचला जाऊंगा जैसे खुद को तनहा छोड़ कर,
मैं अपने आपको रातों में उठकर देख लेता हूँ।

दोहरी शक्सियत रखनें से इन्कार है हमेंदोहरी शक्सियत रखनें से इन्कार है हमें,
इसलिये अकेले रहना स्वीकार है हमें।

कैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम तुम्हारे बगैरकैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम तुम्हारे बगैर,
अगर तुम देख लेते तो कभी तन्हा न छोड़ते मुझे।

बंद मुट्ठी से याद गिरती है रेत की मानिंदबंद मुट्ठी से याद गिरती है रेत की मानिंद,
वो चला गया ज़िन्दगी से ज़र्रा-ज़र्रा कर के।

हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद ना कर देहर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद ना कर दे,
​तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर।


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